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भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी आये दिन अपने पहनावे को लेकर चर्चा में रहते है, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री मोदी के 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर पहने टोपी पर काफी चर्चाए हो रही है मोदी जी द्वारा जो टोपी पहनी गई थी कई लोगों का ध्यान इस ओर गया है दरअसल हम आपकों बता दें, कि मोदी जी द्वारा जो टोपी 26 जनवरी के अवसर पर पहनी थी उसका सम्बन्ध उत्तराखंड से है। कई लोग इसे उत्तराखंड में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड रहे है।
किसने बनाई प्रधानमंत्री वाली टोपी
पहाडी टोपी या उत्तराखंड टोपी की चर्चा एक बार फिर तब होने लगी जब मोदी जी 26 जनवरी के अवसर पर इसे पहन कर आये, इस टोपी को पहाडी टोपी, गढवाली टोपी, कुमाउनी टोपी जैसे अलग अलग नामों से भी जाना जाता है। इसके अलावा इस टोपी को ब्रहमकमल टोपी भी कहा जाता है। दरअसल ब्रहमकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है।
पहाडी टोपी या उत्तराखंडी टोपी लगभग गांधी टोपी जैसी ही होती है, इसे बनाने में स्थानीय फैब्रिक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह गर्माहट देती है उत्तराखंड में अक्सर बुजुर्गो द्वारा यही टोपिया पहनी जाती है।
पहाडी टोपियां ज्यादातर गहरे रंगों में बनाई जाती है, तथा इनमें अलग अलग रंगो में कडाई की जाती है जिससे ये टोपियां और भी सुन्दर दिखाई देती है। गांधी टोपी के अलावा गोलाकार पहाडी टोपी भी उत्तराखंड में पाई जाती है इस टोपी में रंगीन कडाई वाला बार्डर होता है।
चर्चा में क्यो ?
दरअसल पीएम मोदी के 26 जनवरी को उत्तराखंड की टोपी पहनने को सीधा आगामी विधानसभा चुनाव से जोड रहे है, मोदी जी के साथ साथ रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भटट जी ने भी पहाडी टोपी पहनी थी, अजय भटट वर्तमान में उत्तराखंड के नैनीताल क्षेत्र से सांसद है।
पीएम मोदी की गंणतत्र दिवस के अवसर पर पहने परिधान की बात करे तो उन्होने उत्तराखंडी टोपी, जैकेट, और मणिपुरी स्टॉल पहना हुआ था।
मोदी जी द्वारा 26 जनवरी पर उत्तराखंड की टोपी पहनने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करधामी ने प्रधानमत्री मोदी का शुक्रियादा किया है उन्होने टवीट कर कहा है कि प्रदेश की सवा करोड लोगों के सांस्कृतिक विरासत अपनाने के लिये आपका धन्यवाद।
दरअसल उत्तराखंड में अगले माह फरवरी में विधानसभा चुनाव होने है जिसे देखकर लोग मोदी जी द्वारा उत्तराखंड की टोपी पहनने को सीधे तौर पर चुनावों से जोड रहे है। आखिर लोगों का नजरिया कुछ भी हो लेकिन इस बात पर अवश्य गर्व होनी चाहिए कि अब उत्तराखंड के इस परिधान उत्तराखडं/पहाडी टोपी को पूरे विश्व में एक नई पहचान मिलेगी।
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