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त्रियुगीनारायण मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में मौजूद है।
व्युत्पत्ति "त्रिजुगी नारायण" शब्द तीन शब्दों
"त्र" से बना है जिसका अर्थ है तीन, "युगी" काल का
प्रतीक है - युग और " नारायण " विष्णु का दूसरा नाम है। तीर्थयात्रियों में आग करने के लिए लकड़ी की पेशकश की
गई है हवन (चिमनी) -kund के बाद से तीन युगों - इसलिए जगह का नाम "Triyugi नारायण"
दिया जाता है।
Trijugi Narayan
wedding destination
आजकल देश विदेश में शादियों का डेस्टिनेशन वेडिंग का नया ट्रेंड चल रहा हैं। समय और लाइफस्टाइल बदलने के साथ अधिकांश जोडियां डेस्टिनेशन वेडिंग की ओर रूख कर रहे है। दरअसल डेस्टिनेशन वेंडिग में शादी के बंधन में बधने वाली जोडियां अपने पंसद की किसी खास जगह का चुनाव करके वहां अपने अनुसार शादी के बंधन में बधंते है। डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए देशी व विदेशी जोडों की शिव व पार्वती त्रिजुगीनारायण मंदिर पहली पंसद बन रहा है।
त्रिजुगीनारायण मंदिर का महत्व
माना जाता है कि यह वही जगह है जहां साक्षात भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। उत्तराखंड का त्रिजुगीनारायण मंदिर ही वह पवित्र और विशेष पौराणिक मंदिर है। इस मंदिर के अंदर सदियो से अग्नि जल रही है और शिव पार्वती ने इसी पवित्र अंग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया था। यह स्थान रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
त्रिजुगीनारायण मंदिर की कथा
ऐसा माना जाता है कि त्रिजुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी। यहां शिव पार्वती के विवाह में भगवान विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जबकि ब्रहमा जी इस विवाह में पुरोहित बने हुये थे और उस समय सभी संत मुनियों ने इस विवाह में भाग लिया था। विवाह स्थल के नियत स्थान को ब्रहमशिला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने स्थित है।
इस मंदिर के महात्म्य का वर्णन स्थल पुराण में भी मिलता है। विवाह से पहले सभी देवी देवताओं ने यहां स्नान किया था और इसलिए यहां तीन कुंड बने हुए है। जिन्हें रूद्रकुंड, बिष्णु कुंड और ब्रहा कुंड कहते है। और इन तीनों कुंडो का जल सरस्वती कुंड में आता है।
सरस्वती कुंड का निर्माण भगवान विष्णु की नासिका से हुआ माना जाता है और विवाह से पूर्व सभी देवताओं ने यहां स्नान किया और इसलिए यहां तीन कुंड रूद्रकुंड, विष्णुकुंड और ब्रहाकुंड कहते है।
ऐसी मान्यता है
कि इन कुंड में स्नान से संतान हीनता से मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि इस
मंदिर में यह ज्वाला तीन युगों से जल रही है। यह मंदिर भगवान शिव का समर्पित है।
मंदिर में जल रही इस अंग्नि को साक्षी मानकर भगवान शिव और माता पार्वती ने विवाह
किया था और तब से यह अग्नि प्रज्चलित हो रही है। त्रिजुगीनारायण मंदिर में मौजूद
अखंड धुनी के चारों ओर भगवान शिव ने पार्वती संग फेरे लिये थे।
Timings of Triyuginarayan Temple
DARSHAN |
OPEN TIME |
CLOSE TIME |
MORNING |
7:00 AM |
2:00 PM |
EVENING |
4:00 PM |
8:00 PM |
त्रियुगीनारायण मंदिर कैसे पहुंचे?
By Air : निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट (244 किमी) है जो देहरादून में स्थित है।
ट्रेन : निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश (मंदिर से 261 किमी) दूर है।
सड़क मार्ग : मंदिर सोनप्रयाग से 12 किमी दूर है जो सड़क मार्ग से अन्य स्थानों से अच्छी तरह से
जुड़ता है। कोई भी ट्रेकिंग करके मंदिर तक पहुंच सकता है।
Triyuginarayan temple wedding cost
त्रियुगीनारायण
में शादी की लागत आमतौर पर होटल, लॉज या फार्महाउस
में कहीं और खर्च की तुलना में केवल 20-30 प्रतिशत है। आजकल देश विदेश में शादियों का डेस्टिनेशन वेडिंग का नया ट्रेंड
चल रहा हैं। समय और लाइफस्टाइल बदलने के साथ अधिकांश जोडियां डेस्टिनेशन वेडिंग की
ओर रूख कर रहे है।
Hotels | Triyuginarayan Temple
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Set in Gupta Kāshi in the Uttarakhand region, Forest home stay has a balcony and mountain views. This homestay features a garden and free private parking.
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